जोशीमठ की दरकती जमीन के लिए सुरंग जिम्मेदार नहीं', NTPC ने दी सफाई
निर्मयाणाधीन कंपनी (NTPC) ने दी सफाई, भाई बताओ करें क्या इसका? नुकसान तो हो गया अब इसकी भरपाई मुश्किल है टूर्सिम इनकम, बद्रीनाथ यात्रा, नेशनल हाईवे सबका नुकसान हो गया । अगर आप उत्तराखंड की परियोजनाओं पर गौर करेंगे तो आप बड़े नगर जैसे उत्तरकाशी, टिहरी, श्रीनगर, हर नगर के पास एक परियोजना है जिससे हर (उपरोक्त) नगर के पास के पहाड़, भूमि पर दरार पड़ी है ।निर्मयाणाधीन कंपनी की सफाई आती है हमारा इससे संबध नहीं है।
फिर ये हर बार नगर, गाओं की आबादी पर खतरा कैसे आ जाता है???
आख़िर वजह क्या है क़ी हमारे यहाँ पर्यावरण के संरक्षण को परियोजनाओं की योजना बनाते समय ध्यान में नहीं रखा जाता। अगर आप विदेश में होते है तो वहाँ की परियोजना की योजना की समीक्षा आस पास के प्रकृति,जंगल, परिस्थितिकी, आबादी पर हो रहे प्रभावों को शून्य करने क़ी कोशिश होती है। परियोजना कितनी भी बड़ी हो प्रकृति,जंगल, परिस्थितिकी, आबादी से बड़ी नहीं होती, अगर होती तो ये सफाई देने कि नौबत नहीं आती। कोई परियोजना तभी सफल होती है जब विकास करे बगैर प्रकृति,जंगल, परिस्थितिकी, आबादी को संकट में डाले बिना। पहाड़ पर बहुत रिपोर्ट है पर किसी ने ये नहीं सोचा की परियोजना कितनी भी बड़ी हो प्रकृति,जंगल, परिस्थितिकी, आबादी से बड़ी नहीं होती। अगर आप उत्तराखंड की परियोजनाओं पर गौर करेंगे तो आप बड़े नगर जैसे उत्तरकाशी, टिहरी, श्रीनगर, हर नगर के पास एक परियोजना है जिससे हर नगर के पास के पहाड़, भूमि पर दरार पड़ी है ऐसा कोई अपवाद ही नगर होगा जिसके साथ ऐसा नहीं हुआ होगा उत्तराखंड में।
ये विकास नहीं नुकसान है क्रूर मानव कृत। उत्तराखंड की आपदाएं आ आ कर बता रही हैं की यहाँ की इकोलॉजी (परिस्थितिकी) ऐसा विकास का समर्थन नहीं करती।
आप किसी परियोजना के दुष-प्रभावों को शून्य किये बिना यहाँ का विकास नहीं कर सकते। https://youtu.be/ldgno4ze7-I